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छापर भानपुरी के एक पास्टर ने विधि विधान से किया अपने मूल धर्म में वापसी

जगदलपुर : स्थानीय पास्टर संपत मंडावी ने अपने मूल धर्म में वापसी करते हुए सभी को चौंका दिया है। संपत मंडावी, जो कई वर्षों से ईसाई धर्म के प्...

जगदलपुर : स्थानीय पास्टर संपत मंडावी ने अपने मूल धर्म में वापसी करते हुए सभी को चौंका दिया है। संपत मंडावी, जो कई वर्षों से ईसाई धर्म के प्रचारक और पास्टर के रूप में कार्यरत थे, ने एक समारोह में अपने परिवार के साथ वापस अपने मूल धर्म में वापसी की घोषणा की।



मंडावी ने बताया कि कुछ वर्षों पहले उन्होंने लोभ और चंगाई के बहाने ईसाई धर्म अपना लिया था। इसके बाद वे न केवल ईसाई धर्म के अनुयायी बने रहे, बल्कि उन्हें पास्टर की जिम्मेदारी भी सौंपी गई, जिसके तहत उन्होंने ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार भी किया। 


हालांकि, समाज के प्रमुख बुद्धिजीवियों और नेताओं से बातचीत के बाद मंडावी को यह एहसास हुआ कि वे अपनी मूल संस्कृति और धर्म से कोसों दूर हो गए हैं। मंडावी ने कहा, "समाज के बुद्धिजीवियों ने हमें हमारी आदिवासी संस्कृति और रीति-रिवाजों की गंभीरता से समझाया, जिसके बाद मैंने फैसला किया कि मुझे मेरे मूल धर्म में ही वापस लौटना चाहिए।"


समारोह में मुना कश्यप, जीवनाथ मौर्य, संतोष जैन, लल्लू कश्यप, हेमचंद सोम, गणपति सोम, बोंजा सिरहा सहित कई समाज के बुद्धिजीवी और प्रमुख लोग मौजूद थे। सभी ने मंडावी के फैसले का स्वागत किया और इसे समाज के लिए एक सकारात्मक कदम बताया।


मंडावी ने धर्मांतरण किए हुए सभी लोगों से अपील की है कि वे भी अपने मूल धर्म में लौट आएं और अपनी संस्कृति को पुनः अपनाएं। उन्होंने कहा, "समाज के प्रमुखों की बातें बहुत ही सराहनीय और प्रेरणादायक थीं।"


इस घटनाक्रम से छापरभानपुरी और आसपास के क्षेत्रों में चर्चा का विषय बन गया है, और मंडावी का निर्णय एक महत्वपूर्ण सामाजिक बदलाव का संकेत माना जा रहा है।

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