बीजापुर (जगदलपुर) : छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में एक आदिवासी युवती की निर्मम हत्या के मामले ने स्थानीय समुदाय को हिला कर रख दिया है। 34 वर...
बीजापुर (जगदलपुर) : छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में एक आदिवासी युवती की निर्मम हत्या के मामले ने स्थानीय समुदाय को हिला कर रख दिया है। 34 वर्षीय युवती, जो हल्बा आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती थी, की हत्या 10 अगस्त 2024 को बीजापुर जिले के सागवाही गांव के पास हुई। इस बर्बर घटना के बाद से पूरे क्षेत्र में आक्रोश और गुस्सा फैला हुआ है, और न्याय की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया है।
• हत्या का ब्योरा :
युवती अपने माता-पिता के लिए सब्जियां लाने के लिए सुबह 6:30 बजे घर से निकली थी। जब वह घर समय पर नहीं लौटी, तो उसके परिवार वालों ने उसकी खोज शुरू की। लगभग 9:00 बजे उसका शव सागवाही और ईटा भट्टी के बीच एक झाड़ी में मिला। उसके गले पर गहरे घाव, सिर पर गंभीर चोटें, और कमर की हड्डी टूटी हुई पाई गई। परिजनों का आरोप है कि यह हत्या कई व्यक्तियों द्वारा की गई हो सकती है, और युवती ने बचाव का प्रयास किया होगा।
• पुलिस की कार्यवाही पर सवाल :
इस हृदयविदारक घटना के बाद, पुलिस की सुस्त कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठे हैं। मृतका के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्हें 10 दिन तक एफ.आई.आर. दर्ज कराने के लिए संघर्ष करना पड़ा। आखिरकार, 20 अगस्त 2024 को मामला दर्ज हुआ, लेकिन इस बीच पुलिस की ढीली कार्यवाही ने समुदाय के गुस्से को और भड़का दिया है।
परिवार ने पुलिस पर शव परीक्षण रिपोर्ट में देरी करने और उचित जांच न करने का आरोप भी लगाया है। घटनास्थल के पास लगे सी.सी.टी.वी. फुटेज को भी जांच में शामिल न करने पर पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए गए हैं। इसके बावजूद, 15 दिन बीतने के बाद भी पुलिस ने किसी संदिग्ध से पूछताछ नहीं की है, जिससे लोगों में असंतोष और बढ़ गया है।
• न्याय की मांग और समुदाय का आक्रोश :
युवती के परिजनों और स्थानीय समुदाय ने इस मामले में पुलिस की निष्क्रियता पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी और कड़ी सजा की मांग की है। इस घटना ने बस्तर के आदिवासी समाज में गहरे आक्रोश को जन्म दिया है, जो इस मामले में न्याय की गुहार लगा रहा है।
छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के नेताओं, राजाराम तोड़ेम और दशरत कश्यप, ने इस घटना पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने एक अन्य युवती के कथित आत्महत्या के मामले को भी उठाया, और इन दोनों मामलों में न्याय की मांग की। बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक से इस मामले को प्राथमिकता से देखने और जल्द से जल्द कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है। इस घटना ने एक बार फिर आदिवासी समुदाय की सुरक्षा और अधिकारों पर विचार करने की आवश्यकता को उजागर किया है।
आदिवासी समाज और स्थानीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि न्याय में देरी हुई, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
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