जगदलपुर : आज जगदलपुर में विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन बड़े धूमधाम से किया गया। इस मौके पर संभाग भर से हजारों आदिवासी लोग रैली में शामिल हुए,...
जगदलपुर : आज जगदलपुर में विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन बड़े धूमधाम से किया गया। इस मौके पर संभाग भर से हजारों आदिवासी लोग रैली में शामिल हुए, जिससे शहर में एक जीवंत उत्सव का माहौल बन गया। इस विशेष अवसर को मनाने के लिए गुंडाधुर पार्क में विशाल रैली का आयोजन किया गया, जहां पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ पूजा-अर्चना की गई।
• आदिवासी संस्कृति का सम्मान :
विश्व आदिवासी दिवस की स्थापना 42 साल पहले संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य आदिवासी समुदायों के अधिकारों और अस्तित्व के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना है। यह दिवस दुनिया भर के 90 से अधिक देशों में मनाया जाता है और इसे आदिवासी समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके योगदान को सम्मानित करने के रूप में देखा जाता है।
भारत में आदिवासी समुदाय की आबादी करीब 104 मिलियन है, जो कुल जनसंख्या का लगभग 8% है। इन समुदायों का मुख्य निवास छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, और ओडिशा में है। आदिवासी दिवस मनाने की शुरुआत 1982 में हुई थी, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को आदिवासी अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित किया था।
• बड़ी हस्तियों की उपस्थिति :
इस वर्ष की रैली में विशेष आकर्षण का केंद्र बस्तर सांसद और बस्तर महेश कश्यप रहे, जो बस्तर राजा कमलचंद भंजदेव के साथ इस आयोजन में शरीक हुए। इन महान हस्तियों की उपस्थिति ने आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बना दिया और आदिवासी समुदाय के अधिकारों और उनकी संस्कृति के संरक्षण के प्रति उनके समर्थन को दिखाया।
• आदिवासी समुदाय की चुनौतियाँ :
आदिवासी समुदाय सदियों से कई सामाजिक, आर्थिक, और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहा है। विश्व आदिवासी दिवस का यह आयोजन इन चुनौतियों पर प्रकाश डालने और आदिवासियों के अधिकारों के लिए संकल्प लेने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
• समारोह का महत्व :
इस तरह के आयोजनों का उद्देश्य आदिवासी समुदाय के योगदान को पहचानना और उनके अधिकारों के प्रति समाज में जागरूकता फैलाना है। रैली के दौरान, पारंपरिक नृत्य, संगीत, और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने इस आयोजन को और भी आकर्षक बना दिया। आदिवासियों के रीति-रिवाज और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करते हुए इस कार्यक्रम ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
जगदलपुर में इस भव्य आयोजन ने यह साबित कर दिया कि आदिवासी समुदाय न केवल अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है, बल्कि उनके अधिकारों और अस्तित्व की रक्षा के लिए भी वे एकजुट हैं। यह आयोजन एक सफल प्रयास था जो आने वाले वर्षों में और भी व्यापक और प्रभावशाली बनने की संभावना रखता है।
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