नई दिल्ली : संसद के मॉनसून सत्र के दौरान इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर 18% वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लगाने क...
नई दिल्ली : संसद के मॉनसून सत्र के दौरान इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर 18% वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लगाने के फैसले के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की नेता महुआ माजी ने कहा कि मोदी सरकार बिना विचार किए तानाशाही तरीके से फैसले लागू कर रही है, जो देश की जनता के लिए हानिकारक है।
महुआ माजी ने कहा, "मोदी सरकार बिना कुछ सोचे समझे तानाशाही के तहत कुछ भी लागू कर देती है। नोटबंदी कर दी, जीएसटी लागू कर दिया। हेल्थ सेक्टर में अगर 18 फीसदी जीएसटी होगा तो मध्यम वर्ग इससे बहुत ज्यादा प्रभावित होगा। यह देश के साथ बहुत बड़ा अन्याय है।"
• मध्यम वर्ग पर असर :
महुआ माजी के अनुसार, 18% जीएसटी का बोझ विशेष रूप से मध्यम वर्ग पर पड़ेगा, जो पहले से ही महंगाई और आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा है। स्वास्थ्य बीमा को लेकर लोगों की चिंताओं को देखते हुए यह कर न सिर्फ आर्थिक बोझ बढ़ाएगा बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता को भी प्रभावित करेगा।
• विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य :
इंडिया ब्लॉक के इस विरोध का मुख्य उद्देश्य सरकार पर दबाव बनाना है ताकि वह स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर लगाए गए 18% जीएसटी को वापस ले। महुआ माजी ने कहा, "यह विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक 18 फीसदी जीएसटी खत्म नहीं होती।"
अब तक इस मुद्दे पर सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, सरकार इस मामले पर विचार कर रही है और जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए उचित कदम उठाएगी।
यह विरोध प्रदर्शन दर्शाता है कि देश में जीएसटी को लेकर असंतोष अभी भी बरकरार है। विशेष रूप से स्वास्थ्य और जीवन बीमा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में इस तरह के कर के प्रभाव को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस विरोध का कैसे सामना करती है और क्या जीएसटी दर में कोई बदलाव किया जाता है या नहीं।
इस विषय पर देश भर के नागरिकों और विशेषज्ञों की नजर बनी हुई है, जो इस निर्णय के आर्थिक और सामाजिक प्रभावों का आंकलन कर रहे हैं।
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