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1620.5 करोड़ के जुर्माने पर एनएमडीसी ने किया पलटवार, केंद्र-राज्य सरकारों में टकराव की आशंका

जगदलपुर : बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले में एनएमडीसी (राष्ट्रीय खनिज विकास निगम) की किरंदुल यूनिट को जिला प्रशासन द्वारा जारी किए गए नोटिस न...

जगदलपुर : बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले में एनएमडीसी (राष्ट्रीय खनिज विकास निगम) की किरंदुल यूनिट को जिला प्रशासन द्वारा जारी किए गए नोटिस ने राज्य सरकार के नियमों के पालन पर ही प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। इस नोटिस में एनएमडीसी पर 1620.5 करोड़ रुपये का जुर्माना और मुआवजा लगाया गया है, जिसका आधार बिना रेलवे ट्रांजिट पास (आरटीपी) के लौह अयस्क के कथित परिवहन और खनन कानूनों का उल्लंघन बताया गया है। 



एनएमडीसी प्रबंधन ने इस नोटिस के जवाब में स्पष्ट किया है कि उन्होंने कभी भी राज्य के खजाने को नुकसान नहीं पहुंचाया है और उनके द्वारा सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। प्रबंधन ने जिला प्रशासन को सिलसिलेवार ढंग से जवाब देते हुए कहा है कि उनके पास भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से वैध खनन पट्टे, अनुमोदित खनन योजना, पर्यावरण मंजूरी, और अन्य आवश्यक स्वीकृतियाँ मौजूद हैं। इसके अतिरिक्त, एनएमडीसी ने समय-समय पर अग्रिम रॉयल्टी का भुगतान किया है और राज्य सरकार को ई-परमिट प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से रॉयल्टी का भुगतान भी किया है।

पत्र : जिला प्रशासन दंतेवाड़ा द्वारा जारी 


एनएमडीसी ने तर्क दिया है कि तकनीकी कारणों से लौह अयस्क ग्रेड को अंतिम रूप देने में 2-3 दिनों की देरी हो सकती है, लेकिन इससे राज्य के खजाने को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है। 


इस मामले में राज्य सरकार द्वारा अब तक कोई आपत्ति नहीं उठाई गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि एनएमडीसी के द्वारा खनिज नियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। इसके बावजूद, दंतेवाड़ा जिला प्रशासन द्वारा भारी जुर्माना लगाने से एक नए विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है। 


इस घटनाक्रम से न केवल राज्य सरकार की साख पर असर पड़ सकता है, बल्कि राज्य और केंद्र सरकार के बीच टकराव की संभावनाएँ भी बढ़ गई हैं। विशेष रूप से, जब दोनों स्थानों पर एक ही दल की सरकार है, तो यह स्थिति और अधिक संवेदनशील हो जाती है। 


स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, इस मामले में उच्च स्तर पर हस्तक्षेप की आवश्यकता हो सकती है ताकि केंद्र-राज्य के बीच टकराव से बचा जा सके और राज्य सरकार की छवि को क्षति से बचाया जा सके।

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