रायपुर : छत्तीसगढ़ में इस साल खरीफ सीजन के दौरान धान की बुवाई शत-प्रतिशत पूरी हो चुकी है। राज्यभर में धान की खेती के लिए बुवाई के साथ-साथ फ...
रायपुर : छत्तीसगढ़ में इस साल खरीफ सीजन के दौरान धान की बुवाई शत-प्रतिशत पूरी हो चुकी है। राज्यभर में धान की खेती के लिए बुवाई के साथ-साथ फसलों की गिरदावरी का काम भी तेजी से चल रहा है। राज्य के राजस्व विभाग के अनुसार, इस बार धान का रकबा पिछले साल की तुलना में बढ़ सकता है। इसका मुख्य कारण धान की आकर्षक कीमत मानी जा रही है, जो इस साल 31 सौ रुपए प्रति क्विंटल तक पहुँच चुकी है। इससे किसानों का रुझान धान की खेती की ओर बढ़ा है, जिससे रकबे में इज़ाफा होने की संभावना जताई जा रही है।
राजस्व विभाग के सूत्रों के अनुसार, पूरे राज्य में पटवारी अपने-अपने क्षेत्रों में फसलों की गिरदावरी का कार्य कर रहे हैं, जो अगस्त माह से प्रारंभ हो चुका है और सितंबर के अंत तक जारी रहेगा। गिरदावरी के दौरान पटवारी मैन्युअल और ऑनलाइन दोनों तरीकों से डेटा एकत्र कर रहे हैं, जिसमें यह दर्ज किया जा रहा है कि किसानों के कितने रकबे में धान या अन्य फसलें बोई गई हैं। छत्तीसगढ़ में खरीफ सीजन के दौरान धान की खेती सबसे प्रमुख है।
• धान की बुवाई का रिकॉर्ड और रकबा :
इस साल छत्तीसगढ़ में अब तक 2712.63 हेक्टेयर रकबे में धान की बुवाई की जा चुकी है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 2676.53 हेक्टेयर था। यह बुवाई मुख्य रूप से धान की सीधी बुवाई के माध्यम से हुई है। इसके अतिरिक्त, धान का रोपा 1152.46 हेक्टेयर रकबे में लगाया गया है। कुल मिलाकर अब तक 3865.09 हेक्टेयर में धान की खेती की जा चुकी है, जो कि लक्षित क्षेत्र का शत-प्रतिशत है। पिछले साल इसी अवधि में 3747.25 हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई थी, जिससे इस बार बुवाई में वृद्धि देखने को मिल रही है।
इस साल की बेहतर कीमतों और अनुकूल परिस्थितियों के कारण, किसानों ने बड़े पैमाने पर धान की बुवाई की है, जिससे राज्य में धान के उत्पादन में वृद्धि होने की प्रबल संभावना है।
No comments