नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोपी समीर कुलकर्णी को बड़ा झटका देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है। कु...
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोपी समीर कुलकर्णी को बड़ा झटका देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है। कुलकर्णी ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला चलाने की मंजूरी को चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के विवादित फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है। इससे कुलकर्णी के खिलाफ चल रहे कानूनी कार्यवाही की पुष्टि हो गई है। कोर्ट के इस निर्णय से मालेगांव बम विस्फोट मामले की सुनवाई के लिए मार्ग प्रशस्त हो गया है।
कुलकर्णी के अधिवक्ता, श्याम दीवान, ने तर्क दिया कि महाराष्ट्र सरकार ने केस चलाने के लिए यूएपीए की धारा 45(2) के तहत उचित मंजूरी नहीं ली है। उनका दावा था कि जब मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के पास गया, तो केंद्र सरकार से मंजूरी लेना आवश्यक था।
यह मामला तब सामने आया जब सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल को कुलकर्णी के खिलाफ कार्यवाही वाले विशेष अदालत के फैसले पर रोक लगा दी थी। हालांकि, वर्तमान निर्णय ने कुलकर्णी के लिए कानूनी चुनौतियों को और बढ़ा दिया है।
इस निर्णय का व्यापक प्रभाव है, जो आतंकवाद से जुड़े मामलों में कानूनी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और सख्ती को दर्शाता है। यह निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि उच्च न्यायालयों के आदेशों का सम्मान किया जाए और उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाए।
इस निर्णय के बाद, मालेगांव बम विस्फोट मामले की सुनवाई और तेज होगी और न्याय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
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