सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को लेकर नोटिस जारी किए हैं, जिसके तहत उच्च न्यायालय राज्य में कई जातियों का ओबीसी दर...
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को लेकर नोटिस जारी किए हैं, जिसके तहत उच्च न्यायालय राज्य में कई जातियों का ओबीसी दर्जा खत्म कर दिया था। दरअसल, इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले को बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पश्चिम बंगाल में जातियों को सूची में शामिल करने से पहले पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कराए गए सर्वेक्षण, विचार-विमर्श से जुड़ा डेटा मांगा। साथ ही ओबीसी सूची में शामिल जातियों के सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन और नौकरियों में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के बारे में मात्रात्मक डेटा मांगा गया है। दरअसल, कलकत्ता हाईकोर्ट में राज्य के आरक्षण अधिनियम 2012 के प्रावधानों को चुनौती दी गई थी। इन याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने बीते दिन आदेश पारित किया। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील ने दावा किया कि 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में ओबीसी के तहत सूचीबद्ध व्यक्तियों की संख्या पांच लाख से अधिक होने का अनुमान है। मई 2011 तक पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा सत्ता में था और उसके बाद तृणमूल कांग्रेस सरकार सत्ता में आई।
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