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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को जान से मारने की धमकी का मामला: भीमसेना के प्रदेश संयोजक पंकज अतुलकर गिरफ्तार

नई दिल्ली :  हाल ही में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को जान से मारने की धमकी ...

नई दिल्ली : हाल ही में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को जान से मारने की धमकी दी गई है। यह धमकी भीमसेना के प्रदेश संयोजक पंकज अतुलकर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए दी थी। इस मामले ने पूरे देश में हलचल मचा दी है, और पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए अतुलकर के खिलाफ आईटी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। मंगलवार को पंकज अतुलकर ने गंज थाने में आत्मसमर्पण कर दिया।



धमकी देने का कारण :

पंकज अतुलकर ने फेसबुक समेत अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक पोस्ट के जरिए अपनी असहमति जताई थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी/एसटी वर्ग के आरक्षण से संबंधित फैसले पर नाराजगी व्यक्त की। अपने पोस्ट में पंकज ने लिखा कि यदि उन्हें मौका मिला, तो वे मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ को मार गिराएंगे ताकि उनकी आने वाली पीढ़ी को कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। पंकज का मानना है कि इस फैसले से एससी/एसटी वर्ग के लोगों की स्थिति गुलामी जैसी हो गई है, जो उनके क्रांतिकारी पूर्वजों के संघर्ष के खिलाफ है।


पंकज अतुलकर की धमकी भरी पोस्ट के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे, जिसके बाद पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की। बैतूल के पुलिस अधीक्षक निश्चल झरिया ने बताया कि आरोपी पंकज अतुलकर के खिलाफ केस दर्ज किया गया है और फिलहाल वह पुलिस की हिरासत में है। पुलिस द्वारा पंकज से पूछताछ जारी है, ताकि इस मामले के पीछे के उद्देश्यों और संभावित सहयोगियों का पता लगाया जा सके।


यह घटना समाज के विभिन्न वर्गों में आक्रोश पैदा कर रही है। न्यायपालिका के खिलाफ इस प्रकार की धमकी को गंभीरता से लिया जा रहा है, और विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों ने इस कृत्य की कड़ी निंदा की है। इस मामले ने समाज में विचार-विमर्श को भी जन्म दिया है कि किस प्रकार सामाजिक मुद्दों पर असहमति को व्यक्त किया जाना चाहिए, और न्यायपालिका के सम्मान को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।


यह घटना एक महत्वपूर्ण याद दिलाती है कि कानून के तहत किसी भी प्रकार की धमकी या हिंसा का समर्थन नहीं किया जा सकता। न्यायपालिका को स्वतंत्र रूप से और निष्पक्ष रूप से कार्य करने का अधिकार है, और समाज को इस स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए।

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