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ग्राम पंचायत बिंता में कोतवाल नियुक्ति पर हंगामा, ग्रामीणों ने तहसील कार्यालय लोहंडीगुड़ा में किया विरोध प्रदर्शन

जगदलपुर :  ग्राम पंचायत बिंता के ग्रामीणों ने आज बड़ी संख्या में तहसील कार्यालय लोहंडीगुड़ा में एकत्र होकर अपना विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीण...

जगदलपुर : ग्राम पंचायत बिंता के ग्रामीणों ने आज बड़ी संख्या में तहसील कार्यालय लोहंडीगुड़ा में एकत्र होकर अपना विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का आरोप है कि सरपंच और प्रतिनिधियों ने पहले एसडीएम लोहंडीगुड़ा से मिलकर ग्राम पंचायत के कोतवाल की नियुक्ति के विषय में चर्चा की थी, जिसके बाद तहसीलदार ने ग्राम पंचायत के प्रस्ताव के अनुसार कोतवाल की नियुक्ति कर दी थी। 




हालांकि, कुछ समय बाद ही एसडीएम लोहंडीगुड़ा ने उस व्यक्ति की नियुक्ति को निरस्त कर किसी दूसरे व्यक्ति को कोतवाल नियुक्त कर दिया, जिससे ग्रामीणों में भारी नाराजगी है। 


संभाग आयुक्त कार्यालय से एसडीएम के आदेश पर स्टे ऑर्डर जारी किया गया था, लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि उस स्टे ऑर्डर का पालन नहीं किया जा रहा है और हरेंद्र कश्यप को कोतवाल के पद पर बने रहने दिया गया है। 


इसी के विरोध में आज ग्रामीणों ने एसडीएम कार्यालय का घेराव कर विरोध प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपकर परमे कश्यप की नियुक्ति की मांग की। 


ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की गई तो वे अपना विरोध और उग्र करेंगे। यह मामला अब संभाग आयुक्त कोर्ट में चल रहा है और ग्रामीणों की उम्मीदें कोर्ट के निर्णय पर टिकी हैं।


 • आयुक्त न्यायालय के निर्णय का इंतजार : एसडीएम :



वहीं दूसरी ओर एसडीएम लोहंडीगुड़ा शंकर लाल सिन्हा ने बताया कि कोतवाल पद के लिए चार व्यक्तियों ने आवेदन प्रस्तुत किया था। तहसील न्यायालय लोहंडीगुड़ा ने परमेश्वर को कोतवाल बनाए जाने का फैसला लिया था। परमेश्वर की नियुक्ति से क्षुब्ध होकर पूर्व ग्राम कोतवाल हरेंद्र ने एसडीएम कोर्ट में अपील की थी, जिसके बाद हरेंद्र के पक्ष में फैसला लिया गया था। इस निर्णय के विरुद्ध परमेश्वर ने संभाग आयुक्त कार्यालय में अपील की है और अब इस पर फैसला आना बाकी है। एसडीएम ने स्पष्ट किया कि जो भी निर्णय आयुक्त न्यायालय से आएगा वही मान्य होगा।


प्रदर्शन के मुख्य बिंदु :

1. ग्राम पंचायत की मांग: ग्राम पंचायत द्वारा प्रस्तावित कोतवाल की नियुक्ति की जाए।

2. एसडीएम का आदेश: आयुक्त न्यायालय द्वारा जारी स्टे ऑर्डर का पालन नहीं हो रहा है।

3. ग्रामीणों का आक्रोश: स्टे ऑर्डर का पालन न होने से ग्रामीणों में नाराजगी।


ग्रामीणों का कहना है कि वे न्याय की मांग करते रहेंगे और इस मुद्दे को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। 

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