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चार धर्मों में सबसे श्रेष्ठ है दान धर्म

रायपुर। श्री संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर में जारी आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 में रविवार को मुनिश्री जयपाल विजयजी म.सा., मुनिश्री प्रियदर...

रायपुर। श्री संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर में जारी आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 में रविवार को मुनिश्री जयपाल विजयजी म.सा., मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी म.सा. एवं मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी म.सा. के पावन निश्रा में अनुमोदना समारोह का आयोजन किया गया। सिद्धि तप के चढ़ावे का लाभ लेने वाले सभी लाभार्थियों का बहुमान किया गया। बहुमान के लाभार्थी परिवार ने सिद्धि तप के चढ़ावों के लाभार्थियों का तिलक,माला,शॉल और पगड़ी से बहुमान किया। मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी म.सा. ने कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने कैवल्यज्ञान प्राप्ति के दिन सबसे पहली देशना में चार प्रकार के धर्म की बातें कही थी। चार प्रकार के धर्म मानव जीवन के आधार स्तंभ हैं, मोक्ष मार्ग के स्तंभ है और इन चारों में से सबसे पहला आधार स्तंभ तीर्थंकरों ने दान धर्म को बताया है। शास्त्रकार कहते हैं आत्म कल्याण की शुरुआत दान धर्म से होती है। अनंत तीर्थंकरों ने जब चार धर्म की प्ररूपणा की तो सबसे पहले नंबर पर दान धर्म को रखा है। दान धर्म से धर्म, अध्यात्म,साधना और मोक्ष मार्ग की शुरुआत होती है। दान के बहुत सारे प्रकार हो सकते हैं लेकिन जैन शासन के अंदर जिन आज्ञा के अनुसार दान और दानवीरों की अनुमोदना होती है। 

मुनिश्री ने कहा कि दान जिन आज्ञा के अनुसार होना चाहिए, आंखें मूंद कर नहीं करना चाहिए। जिन आज्ञा के अनुसार दानवीरों की अनुमोदना करने के लिए दान धर्म जैन शासन के अंदर ही देखने को मिलेगा। आज का दिन जिसने तपस्वियों की अनुमोदना की है, अपनी लक्ष्मी को न्योछावर कर महालक्ष्मी बनाई है,उन दानवीरों का अनुमोदना समारोह है। मुनिश्री ने कहा कि संसार में हमने अनुमोदनाए बहुत की, प्रशंसाए बहुत की, ऐसी चीजों का समर्थन किया जो चीजें हमारे गले में बंधे पत्थर बनकर डूबाने का काम करती है लेकिन जैन शासन का दान पैराशूट जैसा है,जिसमें धर्म करने वाला आत्म उन्नति के सौपान चढ़ता है और अनुमोदना करने वाले भी आत्म उन्नति के सौपान चढ़ता हैं। अनुमोदना करने वाले का भी अनुमोदन करने वाले भी आत्म उन्नति के सौपान चढ़ाते हैं।



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