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अशोक लुंकड़ का चैंबर में परिवारवाद पर हमला, भविष्य की राजनीति का किया ऐलान

जगदलपुर: बस्तर चेंबर ऑफ कॉमर्स के बहुचर्चित चुनाव में उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार रहे अशोक लुंकड़ ने चुनाव परिणामों पर अपनी असंतुष्टि व्यक्त क...

जगदलपुर: बस्तर चेंबर ऑफ कॉमर्स के बहुचर्चित चुनाव में उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार रहे अशोक लुंकड़ ने चुनाव परिणामों पर अपनी असंतुष्टि व्यक्त करते हुए प्रेस वार्ता का आयोजन किया। इस प्रेस वार्ता में उन्होंने चेंबर के संचालन में व्याप्त परिवारवाद और एकाधिकार पर जमकर हमला बोला। 



अशोक लुंकड़ ने आरोप लगाया कि चेंबर के पदाधिकारी केवल अपने पद और चेंबर पर कब्जा बनाए रखने में रुचि रखते हैं, न कि चेंबर को अद्यतन करने या सदस्यों की संख्या बढ़ाने में। उन्होंने कहा, "चेंबर में कुछ लोगों ने इसे अपनी जागीर बना लिया है। वे केवल अपने परिवार और नजदीकी लोगों को ही चेंबर के बड़े पदों पर बनाए रखना चाहते हैं।"


चुनाव में मामूली अंतर से हार के बावजूद, लुंकड़ ने 750 व्यापारियों के समर्थन को अपनी नैतिक जीत बताया। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान जिन मुद्दों को लेकर वे मैदान में उतरे थे, उन पर वे अडिग रहेंगे और भविष्य में भी इन्हीं मुद्दों पर काम करेंगे। लुंकड़ ने कहा, "पूरे बस्तर और छत्तीसगढ़ में मेरी हार से ज्यादा मेरी नैतिक जीत की चर्चा हो रही है। मैंने अकेले ही पूर्व अध्यक्षों को लाइन में खड़ा कर दिया, और यह मेरी नैतिक विजय है।"


उन्होंने चेंबर में 25 वर्षों से एक ही परिवार के एकाधिकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि इस परिवार ने जानबूझकर ऐसी नीतियों और संविधान का निर्माण किया है, जिससे बाहरी व्यक्ति बड़े पद पर चुनाव न लड़ सके। 


प्रेस वार्ता के दौरान, लुंकड़ ने अपनी भविष्य की रणनीतियों का भी खुलासा किया। उन्होंने राजनीति में प्रवेश करने की योजना का ऐलान किया और कहा कि बस्तर की माटी की सेवा करना अब उनका प्रमुख उद्देश्य रहेगा। उन्होंने बस्तर के व्यापारियों और मित्रों के सहयोग के लिए आभार व्यक्त करते हुए उम्मीद जताई कि भविष्य में भी उन्हें ऐसा ही समर्थन मिलता रहेगा।


श्री लुंकड़ का कहना है कि बस्तर की माटी ने उनके परिवार को सब कुछ दिया है, और अब वे इसी माटी की सेवा में समर्पित रहेंगे। राजस्थान से लगभग 80 वर्ष पहले बस्तर आए उनके पूर्वजों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बस्तर ने उनके परिवार को अपार संपत्ति और सम्मान दिया है, और अब बस्तर को वापस देने का समय आ गया है। 


लुंकड़ की ये बातें बस्तर की राजनीति और व्यापारिक जगत में नई हलचल पैदा कर सकती हैं, और आने वाले दिनों में उनके अगले कदम पर सभी की नजरें टिकी होंगी।

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