जगदलपुर : छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने आज अपने "कलम बंद, काम बंद" आंदोलन के तहत एक दिवसीय हड़ताल का आयोजन किया, जिसमें ब...
जगदलपुर : छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने आज अपने "कलम बंद, काम बंद" आंदोलन के तहत एक दिवसीय हड़ताल का आयोजन किया, जिसमें बस्तर संभाग के हजारों कर्मचारी और अधिकारी शामिल हुए। आंदोलन का मुख्य केंद्र संभागीय मुख्यालय, जगदलपुर रहा, जहां कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में विभिन्न सरकारी विभागों के कर्मचारियों ने हिस्सा लिया, जिससे सरकारी सेवाओं का संचालन प्रभावित हुआ।
• कांग्रेस का समर्थन :
इस हड़ताल को कांग्रेस का भी समर्थन प्राप्त हुआ। जिला कांग्रेस कमेटी (शहर) के अध्यक्ष सुशील मौर्य और पूर्व जगदलपुर विधायक रेखचन्द जैन ने प्रदर्शनकारियों के साथ खड़े होकर उनकी मांगों का समर्थन किया। मौर्य ने कहा, "कर्मचारियों की मांगें जायज़ हैं और उनके अधिकारों की अनदेखी करना सरकार की बड़ी चूक है।"
• सरकार पर आरोप :
मंच से कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रतिनिधियों ने कांग्रेस और भाजपा, दोनों सरकारों पर कर्मचारियों के हितों की अनदेखी का आरोप लगाया। उनका कहना था कि वर्तमान और पूर्व सरकारों ने कर्मचारियों की जायज़ मांगों पर ध्यान नहीं दिया, जिससे उनकी समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं।
• फेडरेशन की प्रमुख मांगों में शामिल हैं :
√ केंद्र सरकार के समान 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता।
√ जुलाई 2019 से लंबित एरियर्स का जी.पी.एफ. में समायोजन।
√ 300 दिनों के अर्जित अवकाश का नगदीकरण।
√ चार स्तरीय वेतनमान।
√ गृह भाड़ा भत्ता (एच.आर.ए.) में सुधार।
• शिक्षा क्षेत्र पर असर :
इस हड़ताल का व्यापक असर शिक्षा क्षेत्र पर भी पड़ा है। छत्तीसगढ़ शिक्षक फेडरेशन ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया, जिसके चलते स्कूलों में परीक्षाएं और पढ़ाई बाधित हुई। शिक्षक संघ का कहना है कि कर्मचारियों की मांगें पूरी होने तक यह संघर्ष जारी रहेगा।
हड़ताल के अंत में कर्मचारियों और अधिकारियों ने शहर में एक विशाल रैली का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने अपने हक के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया। फेडरेशन का कहना है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं, तो आगे और उग्र आंदोलन किए जाएंगे।
• आंदोलन का उद्देश्य :
इस हड़ताल का उद्देश्य सरकार पर दबाव डालना है ताकि कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा किया जा सके। कर्मचारी फेडरेशन के अनुसार, यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगों को लेकर सरकार ठोस कदम नहीं उठाती।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के इस आंदोलन ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है, और आने वाले दिनों में इसका असर और गहरा हो सकता है।
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