जगदलपुर : श्वेताम्बर जैन धर्मावलंबीयों का सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण पर्व अत्यंत उत्साह, उल्लास व धार्मिक गतिविधियों के साथ संपन्न हुआ. मूर्तिप...
जगदलपुर : श्वेताम्बर जैन धर्मावलंबीयों का सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण पर्व अत्यंत उत्साह, उल्लास व धार्मिक गतिविधियों के साथ संपन्न हुआ.
मूर्तिपूजक सम्प्रदाय के पर्युषण पर्व सम्बन्धी आयोजन बालाजी वार्ड स्थित श्री धर्मनाथ जिनालाय में संपन्न हुए, जहाँ पूज्य साध्वी श्री श्रद्धांविता श्री ज़ी आदि ठाणा की निश्रा में पूजा, पाठ, भक्ति, तपस्या आदि का ठाठ रहा.
मूर्तिपूजक संप्रदाय का पर्युषण पर्व 31 अगस्त से प्रारम्भ हुआ. पर्युषण के 8 दिनों के दौरान रोज पूजा, पाठ, जाप, भक्ति आदि नियमित रहे तथा विभिन्न मण्डलों द्वारा प्रतिदिन मंदिर व दादाबाड़ी में भव्य आँगीरचना की गई. इस दौरान रोजाना सुबह 9 बजे से साध्वी वृंद के मुखारबिंद से जिनवाणी श्रवण का विशेष लाभ श्रीसंघ को मिला. ज्ञात हो कि बहुत महत्वपूर्ण ग्रन्थ *कल्पसूत्र* का वाचन पर्युषण के दौरान होता हैं जिसमें तीर्थंकरों के जीवन चरित्र का वर्णन व जैन इतिहास पर प्रकाश डाला गया.
7 सितम्बर, पर्युषण के अंतिम दिन को संवतसरी पर्व के रूप में मनाया गया. इस दिन विभिन्न धार्मिक क्रियाओं व संध्याकालीन प्रतिक्रमण के माध्यम से जैन धर्मावलंबीयों ने विगत वर्ष की जाने, अनजाने हुई समस्त त्रुटियों के विश्व जगत के सभी प्राणियों से क्षमायाचना की. इस महत्वपूर्ण दिवस में समाज के सभी लोग किसी न किसी व्रत से जुड़े. कल्पसूत्र के मूल सूत्र बारसा सूत्र जो कि प्राकृत भाषा में हैं का भी श्रवण पूज्य साध्वीजी द्वारा समाज को कराया गया.
23 अगस्त से श्री जैन कुशाल संगठन द्वारा 16 दिवसीय नवकार जाप का भी आयोजन किया गया, जिसका समापन भी 7 सितम्बर को हुआ.
रोजाना रात्रि में नवकार जाप के बाद विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी पर्युषण के दौरान हुआ जिसमें सभी वर्गों ने भाग लिया.
इस वर्ष जगदलपुर में श्री श्रद्धान्विता श्री ज़ी आदि ठाणा 3 का चातुर्मास भी चल रहा हैं, जिनकी प्रेरणा से तप-जप-पूजा-भक्ति का ठाठ हैं.
पर्युषण के दौरान 22 लोगों ने पूरे 8 दिन का उपवास किया, पर्युषण के पहले भी लगातार तपस्या हुई हैं जिसमें 9 से 18 उपवास, अक्षय निधि, समवसरण, विजय कषाय आदि तप कई लोगों ने किये हैँ I
साधुमार्गी, ज्ञानगच्छ व तेरापंथ समुदाय में भी पर्वाधिराज पर्युषण की आराधना उल्लासपूर्वक संपन्न हुई I
मूर्तिपूजक के अलावा अन्य समुदाय ने 1 से 8 सितंबर तक पर्युषण पर्व की आराधना की गई तथा 8 सितंबर को संवतसरी मनाई गई I पर्युषण के दौरान जिनवाणी का पाठन बाहर से पधारे स्वाध्यायी बंधुओ द्वारा किया गया I
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