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शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने कलेक्टर और डीईओ को सौंपा ज्ञापन, पूर्व सेवा गणना की मांग

• शिक्षकों ने पीएम मोदी की गारंटी की दिलाई याद, आंदोलन की चेतावनी : जगदलपुर : बस्तर जिले में शिक्षक संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में शिक्षकों ...

शिक्षकों ने पीएम मोदी की गारंटी की दिलाई याद, आंदोलन की चेतावनी :



जगदलपुर : बस्तर जिले में शिक्षक संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में शिक्षकों ने अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को ज्ञापन सौंपा। मंगलवार को बस्तर जिला कलेक्टर कार्यालय में यह ज्ञापन सौंपते समय बड़ी संख्या में एलबी संवर्ग के शिक्षक उपस्थित थे। शिक्षकों ने इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिक्षकों से जुड़ी गारंटी की याद दिलाते हुए सरकार से अपने हितों की रक्षा करने की अपील की।



शिक्षक संघर्ष मोर्चा के संभागीय संचालक प्रवीण श्रीवास्तव ने बताया कि एलबी संवर्ग के शिक्षकों की सबसे प्रमुख मांग यह है कि उनकी सेवा में पूर्व अवधि की गणना नहीं की जा रही है, जिससे सेवानिवृत्ति के समय उन्हें भारी नुकसान हो रहा है। कई शिक्षक बिना किसी पेंशन लाभ के सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जो कि एक गंभीर चिंता का विषय है।


ज्ञापन में शिक्षकों ने पांच प्रमुख मांगें उठाईं :

1. पूर्व सेवा की गणना करते हुए पेंशन का भुगतान सुनिश्चित करना।

2. वेतन विसंगतियों को दूर करना और समस्त एलबी संवर्ग को क्रमोन्नति प्रदान करना।

3. पुनरीक्षित वेतनमान में 1.86 गुणांक के आधार पर वेतन निर्धारण करना।

4. पेंशन की पात्रता को 33 वर्षों से घटाकर 20 वर्ष करना।

5. महंगाई भत्ता केंद्र सरकार के समान देय तिथि से लागू करना।




शिक्षकों ने यह भी चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे 24 अक्टूबर को जगदलपुर के मंडी प्रांगण में जिला स्तरीय धरना प्रदर्शन करेंगे। यदि इसके बाद भी समाधान नहीं हुआ, तो प्रदेशभर में अनिश्चितकालीन आंदोलन की योजना बनाई जाएगी।


इस ज्ञापन सौंपने के दौरान शिक्षक संघर्ष मोर्चा के नेताओं में राजेश गुप्ता, देवराज खूंटे, मोहम्मद ताहीर शेख, अमित पॉल, भुवनेश्वर नाग, बुधराम कश्यप सहित कई प्रमुख शिक्षक उपस्थित थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर सरकार उनकी मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लेती, तो वे अपने हक के लिए बड़े आंदोलन की राह पर चलने को मजबूर होंगे।


शिक्षक संघर्ष मोर्चा की यह कार्रवाई शिक्षा जगत में बड़ा बदलाव लाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है, जिससे शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए आवाज़ बुलंद की गई है।


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