जगदलपुर : बस्तर जिले के ग्राम पंचायत कुमली के जिरागांव में आज सुबह 11 बजे विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के तत्वावधान में एक विशेष बै...
जगदलपुर : बस्तर जिले के ग्राम पंचायत कुमली के जिरागांव में आज सुबह 11 बजे विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के तत्वावधान में एक विशेष बैठक आयोजित की गई, जिसमें 12 गाँवों के सैकड़ों लोग और बस्तर के सांसद महेश कश्यप भी उपस्थित थे। बैठक का उद्देश्य 6 नवंबर को ईसाई समुदाय द्वारा आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम के विरोध को लेकर रणनीति बनाना था। ईसाई समुदाय ने माचकोट जंगल स्थित ऐतिहासिक शिवलिंग के पास पूजा करने की अनुमति प्रशासन से मांगी है, जिस पर स्थानीय लोग विरोध जता रहे हैं।
• धार्मिक स्थल पर विवाद का कारण :
बाघरावुड पहाड़ी पर स्थित यह शिवलिंग आदिवासी समाज के लिए विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। ग्रामीणों का कहना है कि इस शिवलिंग पर बस्तर के राज परिवार द्वारा पारंपरिक पूजा की जाती रही है और यह स्थल उनके आस्था का प्रतीक है। आदिवासी परंपराओं और पेसा कानून के तहत वे इस स्थान पर किसी अन्य धार्मिक आयोजन को अनुमति नहीं देना चाहते हैं। ग्रामीणों का दावा है कि पिछले कुछ समय से यहां एक विशेष समुदाय के लोग अपने धार्मिक ग्रंथ और प्रतीकात्मक वस्तुएं रख रहे हैं, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ा है।
• सांसद महेश कश्यप का वक्तव्य :
बैठक में उपस्थित सांसद महेश कश्यप ने इस मामले में ग्रामीणों को समर्थन देते हुए कहा कि धर्मांतरण के प्रयासों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने आदिवासी समुदाय को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहने का संदेश दिया और पेसा कानून के प्रावधानों के बारे में भी जानकारी दी। कश्यप ने स्पष्ट किया कि शिवलिंग जैसे पवित्र स्थलों पर बाहरी हस्तक्षेप आदिवासी संस्कृति और परंपराओं के खिलाफ है और प्रशासन से इस मामले में उचित कार्यवाही की मांग की।
बैठक के दौरान ग्रामीणों ने थाना नगरनार के थाना प्रभारी को ज्ञापन सौंपते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की। ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि धार्मिक स्थलों पर किए जा रहे इस प्रकार के प्रयास, जिससे धर्मांतरण को बढ़ावा मिल सकता है, को तुरंत रोका जाए।
• विहिप और बजरंग दल की भूमिका :
विहिप और बजरंग दल के स्थानीय नेतृत्व, जिसमें विभाग मंत्री रवि ब्रम्हचारी और जिला अध्यक्ष हरि साहू शामिल थे, ने कहा कि वे इस मुद्दे पर आदिवासी समाज के साथ खड़े हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि संगठन इस धार्मिक स्थल पर किसी अन्य गतिविधि की अनुमति नहीं देगा और इसके संरक्षण के लिए प्रशासन पर दबाव बनाएगा।
इस बैठक के बाद ग्रामीण लामबंद हो गए हैं और उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वे इस प्रकार के आयोजनों को अपने क्षेत्र में स्वीकार नहीं करेंगे। 6 नवंबर को ईसाई समुदाय के कार्यक्रम को लेकर ग्रामीणों और विहिप ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि इस आयोजन की अनुमति दी गई, तो वे इसे शांतिपूर्ण तरीके से रोकने के लिए एकजुट प्रदर्शन करेंगे।
यह घटना न केवल धार्मिक भावना बल्कि आदिवासी अस्मिता से भी जुड़ी हुई है, जिससे बस्तर के आदिवासी समुदाय में गहरी असंतुष्टि है। आने वाले दिनों में प्रशासन और ग्रामीणों के बीच समझौते का रास्ता ढूंढ़ा जाना आवश्यक है ताकि इस संवेदनशील मामले का हल निकाला जा सके।
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