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किसानों के साथ धोखाधड़ी: खराब धान बीज से उपज न होने पर किसान परेशान, प्रशासन से लगाई गुहार

• फरसगांव के 500 से अधिक पीड़ित किसान 25 नवंबर को देंगे धरना : कोंडागांव : जिले के फरसगांव थाना क्षेत्र के माकड़ी ब्लॉक के रांधना इलाके के क...

फरसगांव के 500 से अधिक पीड़ित किसान 25 नवंबर को देंगे धरना :

कोंडागांव: जिले के फरसगांव थाना क्षेत्र के माकड़ी ब्लॉक के रांधना इलाके के किसानों ने एक गंभीर समस्या को लेकर प्रशासन का दरवाजा खटखटाया है। आरोप है कि रांधना स्थित कृषि केंद्र के संचालक ने किसानों को “बेहतर उपज” का वादा करते हुए विशेष किस्म के धान के बीज बेचे, लेकिन परिणामस्वरूप धान में बाली ही नहीं आई। इस कारण किसान भारी आर्थिक नुकसान और मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं।


संचालक ने पल्ला झाड़ा :

किसानों का कहना है कि कृषि केंद्र के संचालक ने बीज को “उच्च गुणवत्ता वाला” बताकर बेचा था, लेकिन समस्या सामने आने पर उन्होंने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। संचालक ने साफ कहा, “बीज मेरे घर में नहीं बना है। मेरी कोई गलती नहीं है।”


तीन महीने से न्याय के लिए भटक रहे किसान :

परेशान किसानों ने इस समस्या को लेकर एसडीएम, डीएम, विधायक और कृषि विभाग के अधिकारियों से गुहार लगाई। शिकायत के बाद कृषि विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच भी की, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।


पिछले तीन महीनों से किसान बार-बार सरकारी कार्यालयों और जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन हर बार उन्हें केवल आश्वासन ही मिल रहा है।


धरने की चेतावनी :

अपनी समस्याओं के समाधान के लिए किसान अब आंदोलन की राह पर हैं। 25 नवंबर को फरसगांव के हॉस्पिटल मैदान में 500 से अधिक किसान धरना देने की योजना बना रहे हैं। किसानों ने फरसगांव एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर स्पष्ट किया है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो वे जल्द ही कोंडागांव कलेक्टर कार्यालय का घेराव करेंगे। इसके बाद भी समाधान न मिलने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठने की चेतावनी दी है।


किसानों की प्रमुख मांगें हैं :

1. दोषी बीज विक्रेताओं पर कड़ी कार्रवाई।

2. आर्थिक नुकसान की भरपाई

3. भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी रोकने के लिए ठोस नीति



प्रशासन और जनप्रतिनिधियों पर सवाल :

इस घटना ने प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। किसानों का कहना है कि उन्हें उनकी मेहनत और फसल की बरबादी का मुआवजा तुरंत मिलना चाहिए।


अब देखना यह है कि किसानों के इस आंदोलन का प्रशासन पर क्या असर पड़ता है और क्या उन्हें न्याय मिल पाता है या नहीं।


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