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विद्युत विभाग की अनियमितताओं से जनता परेशान, जन अधिकार मोर्चा ने सौंपा ज्ञापन

जगदलपुर  : छत्तीसगढ़ राज्य में विद्युत विभाग की अनियमितताओं और मनमानी वसूली के खिलाफ जन अधिकार मोर्चा ने आज जोरदार प्रदर्शन किया। मोर्चा के ...

जगदलपुर : छत्तीसगढ़ राज्य में विद्युत विभाग की अनियमितताओं और मनमानी वसूली के खिलाफ जन अधिकार मोर्चा ने आज जोरदार प्रदर्शन किया। मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रिका सिंह और महासचिव विपिन तिवारी ने विद्युत मंडल की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं और विभाग की कार्यशैली को जनता के खिलाफ बताया है।

आज कार्यपालन अभियंता, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (छ.ग.रा.वि.वि.कं.मं.) को ज्ञापन सौंपते हुए संगठन ने विभाग द्वारा अक्टूबर 2024 के बिजली बिलों में "सुरक्षा निधि" के नाम पर भारी-भरकम राशि वसूलने का आरोप लगाया। संगठन ने कहा कि यह राशि उपभोक्ताओं को बिना किसी जानकारी और मानक तय किए वसूली जा रही है।


मुख्य आरोप और मांगें :

1. सुरक्षा निधि की अनियमित वसूली: संगठन का कहना है कि इस निधि के मानक न तो स्पष्ट किए गए हैं और न ही उपभोक्ताओं को इसकी कोई पूर्व जानकारी दी गई।

2. मनमानी शुल्क में छूट देने का मामला: प्रतिनिधियों ने बताया कि कुछ प्रभावशाली उपभोक्ताओं के बिलों में संशोधन कर छूट दी जा रही है, जो आम उपभोक्ताओं के साथ भेदभाव है।

3. सुरक्षा निधि का उपयोग: संगठन ने मांग की है कि सुरक्षा निधि से होने वाले लाभ और उसकी उपयोगिता पर स्पष्ट जानकारी दी जाए।

4. मीटर किराए में गड़बड़ियां: मीटर के रखरखाव के लिए प्रतिमाह किराया लिया जा रहा है, जबकि उपभोक्ताओं से पहले ही मीटर लगाने की राशि वसूली जा चुकी है।

5. बिना मीटर रीडिंग के बिल जारी करना: संगठन ने कहा कि अनुमानित बिलिंग प्रणाली गरीब और ग्रामीण उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ डाल रही है।


आंदोलन की चेतावनी :

संगठन ने विद्युत विभाग से इन मुद्दों का समाधान जल्द से जल्द करने की मांग की। प्रदेश अध्यक्ष चंद्रिका सिंह ने चेतावनी दी कि अगर विभाग ने सुरक्षा निधि की मानक प्रक्रिया स्पष्ट नहीं की, तो मोर्चा राज्यव्यापी आंदोलन करेगा।


ज्ञापन सौंपने वालों में रवि तिवारी (प्रदेश उपाध्यक्ष), विनय मंडल (संभागीय उपाध्यक्ष), सुनीता सोरी, संभागीय उपाध्यक्ष, श्रीमती असीमा, श्रीमती प्रिया याक्य और अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।


यह मामला आम जनता की कठिनाइयों और विभाग की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। अब देखना यह होगा कि विद्युत विभाग इन मांगों पर क्या कदम उठाता है।


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