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छत्तीसगढ़ में साइबर ठगी का बढ़ता जाल: चुनौतियां, प्रमुख केस और समाधान

 छत्तीसगढ़ में साइबर ठगी के मामले चिंताजनक स्तर पर पहुंच गए हैं, जहां हर घंटे तीन लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। 2024 में अब तक 17,011 केस दर्...

 छत्तीसगढ़ में साइबर ठगी के मामले चिंताजनक स्तर पर पहुंच गए हैं, जहां हर घंटे तीन लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। 2024 में अब तक 17,011 केस दर्ज किए गए हैं। इस तेजी से बढ़ते अपराध के लिए ठग विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनमें डिजिटल अरेस्ट, फिशिंग स्कैम, फर्जी जॉब ऑफर, लकी ड्रा, और इंटरनेट मीडिया के माध्यम से बदनामी की धमकी जैसे हथकंडे शामिल हैं।



ठगी के प्रमुख तरीके :

1. डिजिटल अरेस्ट स्कैम: ठग खुद को पुलिस या कस्टम अधिकारी बताकर डराते हैं और पैसे ऐंठ लेते हैं।

2. फिशिंग: फर्जी लिंक भेजकर बैंक अकाउंट की जानकारी हासिल करना।

3. जॉब स्कैम: फर्जी नौकरियां ऑफर कर प्रोसेसिंग फीस के नाम पर ठगी।

4. लकी ड्रा या पार्सल स्कैम: लॉटरी जीतने या पार्सल जब्त होने के नाम पर पैसे मांगना।

5. इंटरनेट मीडिया ब्लैकमेलिंग: न्यूड वीडियो कॉल के जरिए बदनामी की धमकी देना।


प्रमुख केस :

रायपुर की महिला ठगी: एक महिला को "डिजिटल अरेस्ट" का डर दिखाकर 58 लाख रुपये ठग लिए गए।

कारोबारी से ठगी: शेयर बाजार में भारी मुनाफा दिलाने के नाम पर एक कारोबारी से ढाई करोड़ रुपये ऐंठे गए।


पुलिस की चुनौतियां :

पुलिस खातों को फ्रीज कर रही है, लेकिन पैसे वापस दिलाना मुश्किल साबित हो रहा है। अपराधी नई-नई तकनीक और मनोवैज्ञानिक रणनीतियों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे पीड़ित तुरंत झांसे में आ जाते हैं।


1. जन-जागरूकता: नियमित अभियान और डिजिटल सुरक्षा के बारे में जानकारी देना।

2. साइबर हेल्पलाइन: पीड़ितों के लिए एक सक्रिय और तेज हेल्पलाइन शुरू करना।

3. टेक्नोलॉजी आधारित जांच: डिजिटल फोरेंसिक तकनीकों का उपयोग।

4. कानूनी सख्ती: अपराधियों पर कठोर कार्रवाई और उनकी संपत्ति जब्त करना।


साइबर ठगी के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए जागरूकता और तकनीकी कुशलता का होना अनिवार्य है।

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