जगदलपुर : बस्तर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के शिवालय का जीर्णोद्धार अभी भी लंबित है। विश्व हिंदू परिषद, बस्तर प्रांत ने 16 जुलाई 2024 को ...
जगदलपुर : बस्तर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के शिवालय का जीर्णोद्धार अभी भी लंबित है। विश्व हिंदू परिषद, बस्तर प्रांत ने 16 जुलाई 2024 को कलेक्टर बस्तर को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें नगर पंचायत बस्तर के भाटीपारा क्षेत्र में स्थित 12वीं शताब्दी के इस प्राचीन शिव मंदिर के पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार का आग्रह किया गया था। विहिप बस्तर प्रखंड के प्रखंड अध्यक्ष विवेक शुक्ला ने कहा कि "लगभग पांच महीने पहले भी हमने ज्ञापन के माध्यम से प्रशासन को सूचना दी थी कि वर्षों से बंद शिवालय के जीर्णोद्धार के कार्य को पूर्ण करे जिससे हमारे नगर पंचायत बस्तर कि धार्मिक और दार्शनिक पहचान बनी रहे, मगर आज तक जिला प्रशासन द्वारा कोई पहल नहीं की गई।"
बता दें यह शिवालय नेशनल हाईवे क्रमांक - 30 से लगभग 1 कि. मी. की दूरी पर स्थित है। वहीं बजरंग दल विभाग संयोजक सिकंदर कश्यप ने कहा कि "हमारे बस्तर संभाग में जितने भी ऐतिहासिक धरोहर है उनके संरक्षण एवं जीर्णोद्धार हेतु बजरंग दल जिला बस्तर के द्वारा बहुत जल्द ही संभाग स्तर पर ऐतिहासिक धरोहरों कि जीर्णोद्धार एवं सुरक्षा हेतु विशेष अभियान चलाया जाएगा!"
जुलाई माह में सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि यह मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आता है, लेकिन कई वर्षों से इसकी स्थिति खराब है। मंदिर परिसर के कई हिस्से टूट चुके हैं, और इस ऐतिहासिक धरोहर की उपेक्षा से स्थानीय लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के पदाधिकारियों ने प्रशासन से मंदिर को संरक्षित करने और इसे जल्द से जल्द पुनर्निर्मित करने की मांग की है।
• ज्ञापन में उठाए गए प्रमुख बिंदु :
1. धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता: यह मंदिर बस्तर की धार्मिक पहचान का प्रतीक है।
2. संरक्षण की आवश्यकता: मंदिर के टूटे हुए हिस्सों की मरम्मत और परिसर की सुरक्षा पर जोर दिया गया।
3. स्थानीय समाज की भागीदारी: स्थानीय समुदाय और संगठनों ने मंदिर के पुनर्निर्माण में सहयोग की पेशकश की।
ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के प्रमुख सदस्य शामिल थे, जैसे विवेक शुक्ला (नगर अध्यक्ष), सिकंदर कश्यप (विभाग संयोजक), मुन्ना बजरंगी (जिला सह संयोजक, बजरंग दल) और अन्य।
यह ज्ञापन प्रशासन को इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के लिए जागरूक करने की एक महत्वपूर्ण पहल है। यह उम्मीद जताई जा रही है कि प्रशासन शीघ्र ही उचित कदम उठाएगा और इस प्राचीन मंदिर को उसकी भव्यता में लौटाएगा।
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