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पत्रकार के साथ फिर हुई बदसलूकी, सरकारी भवन की लागत पूछने पर कैमरा छीनने की कोशिश की अधिकारी ने

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जगदलपुर : जिला मुख्यालय में एक सरकारी निर्माण की लागत पूछना अधिकारी को गवारा न हुआ, और पहले तो अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से पत्रकार और कैमरा ...

जगदलपुर : जिला मुख्यालय में एक सरकारी निर्माण की लागत पूछना अधिकारी को गवारा न हुआ, और पहले तो अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से पत्रकार और कैमरा मैंन को धक्के मरवाया और भवन के मुख्य द्वार बंद करने लगे। फिर भी सवाल पूछे जाने पर स्वयं अधिकारी ने अपना आपा खोते हुए पत्रकार के साथ अभद्रता की और कैमरा छीनने की कोशिश की। 

बस्तर में पत्रकारिता करना किसी जोखिम भरे मिशन से कम नहीं है। कुछ ही दिन बीते हैं, जब बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने इस सच्चाई को एक बार फिर उजागर कर दिया है। उन्होंने करोड़ों के सड़क घोटाले को लेकर एक खबर प्रकाशित की थी, जिसके महज पांच माह बाद उनकी हत्या कर दी गई। यह घटना न केवल मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि भ्रष्टाचारियों की हिम्मत को भी दर्शाती है।


जब प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बस्तर दौरे के दौरान इस घोटाले की जांच और दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया था, तब भी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर पर कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया। यदि समय रहते कार्रवाई की गई होती, तो शायद मुकेश चंद्राकर आज जीवित होते।


• शीश महल का मामला : भ्रष्टाचार की नई मिसाल

बस्तर में एक और मामला सुर्खियों में है। जलसंसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता वेदप्रकाश पांडेय पर करोड़ों रुपये खर्च कर 14 कमरों का आलीशान शीश महल बनाने के आरोप लगे हैं। बिना प्रशासनिक और तकनीकी स्वीकृति के इस महल का निर्माण चल रहा है, और किसी भी सूचना बोर्ड की अनुपस्थिति यह दर्शाती है कि नियमों को दरकिनार किया गया है।


इस मामले को उजागर करने वाले युवा पत्रकार दिलीप गुहा को भी भारी विरोध झेलना पड़ा। खबर बनाने के दौरान वेदप्रकाश पांडेय ने न केवल पत्रकार को धक्के देकर बाहर निकाला, बल्कि उनका कैमरा भी तोड़ दिया। इतना ही नहीं, उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी गई। यह घटना पत्रकारों के प्रति प्रशासनिक अमले की असहिष्णुता को दर्शाती है।


अधिकारी पांडेय लगातार पत्रकार के ऊपर ऊंची आवाज रखते हुए हावी होने की कोशिश करते दिखे, इस बीच अधिकारी ने पत्रकार पर दबाव बनाने के लिए झूठे पुलिस एफ आई आर करवाने की धमकी भी दी और पत्रकार दिलीप गुहा के सवालों से बचते हुए, कुछ दिन पहले इस भवन से चोरी हुए पानी के मोटर की बात करते दिखे। वे लगातार पत्रकार गुहा पर अलग अलग तरीके से दबाव बना रहे थे। अंत में खुद को फंसता देखकर वे सवाल सुनने की जगह केवल परिवार और व्यक्तिगत समानों का हवाला देते दिखे। जगदलपुर से प्रकाशित होने वाले अखबार बस्तर एक्सप्रेस में छपी खबर से पता चला कि पत्रकार दिलीप गुहा जो लगातार जन सरोकार से जुड़े मुद्दे और भ्रष्टाचारों को बेबाकी से उजागर करते हैं। 


वेदप्रकाश पांडेय : विवादों से घिरा अधिकारी

वेदप्रकाश पांडेय इससे पहले अंबिकापुर में क्वालिटी कंट्रोल विभाग में पदस्थ थे, जहां घटिया निर्माण कार्यों को ओके रिपोर्ट देने के आरोप में उन्हें सस्पेंड किया गया था। अब वे जलसंसाधन विभाग में फिर से विवादों में घिर चुके हैं। उनके कई रिश्तेदार भी विभाग में ठेकेदारी का काम कर रहे हैं, जो नियमों और नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।


विभागीय सूत्रों के अनुसार, पांडेय ने पदभार ग्रहण करने के बाद अपने कक्ष और अपने वरिष्ठ अधिकारी के कक्ष को 15 लाख रुपये की लागत से भव्य रूप में तैयार कराया। यह सारा खर्च भी बिना किसी प्रशासनिक स्वीकृति के किया गया।


पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल :

बस्तर में लगातार सामने आ रही इन घटनाओं ने पत्रकारों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में पत्रकारों को सच उजागर करने का अधिकार है, लेकिन भ्रष्टाचारियों और सत्ता से जुड़े लोगों के सामने यह कार्य बेहद जोखिमभरा हो गया है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाएं और भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई करें।


आखिर कब तक सच की आवाज को दबाने की कोशिश की जाएगी, और कब तक पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर जनता तक सच्चाई पहुंचाने का काम करते रहेंगे? यह सवाल बस्तर ही नहीं, पूरे देश के सामने है।

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